गुरुवार, 28 जनवरी 2010

महिला उत्पीडन

आज महिलाओ के लिए कोई देश कोई शहर कोई तहसील या कोई घर उनका आपना नहीं हो सकता .क्यों की आज अगर कोई महिला घर की चौकट के बहार कदम रखती है तो उसके मन मै बहुत सारे सवाल उठाते है की , बहार कदम रखते ही कोई रावण उसे उठा तो नहीं ले जायेगा ? या भरी बाजार में कोई दुर्योधन उसके कपडे तो नहीं उतरवाएगा ?घर के बहार भी नन्ही बल्कि घर के अन्दर भी वह महफूज नहीं है ना जाने कब उसे कोई पांडव दांव पर लगा बैठे ? या किसी दिन उसे आग्निपरिक्षा देनी पड़े ? इस प्रकार नारी की पूरी जिंदगी संघर्ष से भरी है .अगर इस से मुक्ति चाहिए तो महिलाओ को एकत्रित हो कर अपनी क्षमता को पहचान कर गुणों का विकास करना होगा

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